मोह ना लाग
मोह ना लागे मोहन तोस
ऐसी कोई सूरत करद
या रेशम सी मखमल करद
या पत्थर की मूरत करद
तो मैं काशी काबा मेर
तो मैं काशी काबा मेर
तो मैं बस्ते राम
जो कर लूं मैं तेरे फेर
कर लूं चारो धाम
कर लूं चारो धाम
मोह ना लाग
मोह ना लाग
मोह ना लाग
मोह ना लाग
तरस मैं बीते बरसे ये सार
बरसे रिमझिम मेघ कर
संझ चढ़ी तो संझ चली फिर
चंद भी निकला चमके सितार
फूल खिला न अंगना मोर
आए गए जो भाग
पर नैनों ने मेरे लिया न
सावन से बैराग
सावन से बैराग
मोह ना लाग
मोह ना लाग
मोह ना लाग
मोह ना लाग
कैसो पियसो छाओ लागा य
जग दोष का ही नाम द
मीरा को भक्ति सुहाए
प्रीत क्यूं डारी श्याम स
हो सारे गीत बदल द
चाहे रीत पलट द
दो नाम अलग है संग में बोल
आज से बोलो मीरा-श्याम मीरा-श्याम
तुने जोग का चोला ओढ
पहना हर इलज़म
पी लूं अब मैं विष का प्याल
हो जाऊं बदनाम
बोलो मीरा-श्याम
बोलो मीरा-श्याम
मोह ना लाग
मोह ना लाग
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